Description
‘‘सà¥à¤–-दà¥à¤– की धीमी आà¤à¤š जिनà¥à¤¦à¤—ी को मà¥à¤•à¤®à¥à¤®à¤² करती है। मà¥à¤•à¤®à¥à¤®à¤² जिनà¥à¤¦à¤—ी में à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ हà¥à¤† होता है जिसे बदलना चाहते हैं, कà¥à¤› बà¥à¤°à¥€ यादों को मिटाना चाहते हैं, कà¥à¤› बिगड़ा हà¥à¤† सà¤à¤µà¤¾à¤°à¤¨à¤¾ चाहते हैं। काश जैसा हà¥à¤†, अगर वैसाना हà¥à¤† होता तो जिनà¥à¤¦à¤—ी कितनी खूबसूरत होती है। ये जानते हà¥à¤ à¤à¥€ कि न तो गà¥à¤œà¤°à¤¾ हà¥à¤† वकà¥à¤¤ लौटकर आता है और न ही बीते हà¥à¤ वकà¥à¤¤ में जाना मà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ है। सिरà¥à¤« खटà¥à¤Ÿà¥‡-मीठे अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ का कॉकटेल à¤à¤° हमारी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में रह जाता है। इसी के साथरह जाती है अनगिनत शिकायतें, खà¥à¤¦ से, हालातों से, रूà¥à¥€à¤µà¤¾à¤¦à¥€ समाज से, फरेबी लोगों से। अनà¥à¤¤à¤¿à¤® सतà¥à¤¯ यही है कि जीवन का अंत होता है, शिकायतों का कोई अंत नहीं है।’’
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